राजस्थान के अलवर में चंदौली गांव के साइबर सेंटर में कंप्यूटर और इंटरनेट सीखने आए बच्चों के चेहरे पर अलग ही चमक दिखाई देती है.
इन्हें यहां इंटरनेट, पॉवर प्वाइंट और पेंट ब्रश सीखने को तो मिलता ही है, बल्कि कभी-कभी फ़ेसबुक और गेम्स खेलने का भी मौक़ा मिल जाता है.
इंटरनेट पर इन्हें सबसे अच्छा क्या लगता है, इसका जवाब एक ही सुर में निकलता है – फ़ेसबुक.
फ़ेसबुक के दीवाने
पिछले साल चंदौली गांव में एक बहुत ख़ास मेहमान आए थे – फ़ेसबुक के संस्थापक मार्क ज़करबर्ग.
मार्क के साथ हुई मुलाक़ात को याद करते हुए 13 वर्षीय हज़रत सपवान के चेहरे पर बड़ी सी मुस्कान आ जाती है, “जब उन्होंने हमसे पूछा कि हमें इंटरनेट पर क्या अच्छा लगता है तो हमने कहा फ़ेसबुक जिसके जबाव में उन्होंने कहा, ब्यूटीफ़ुल!”
वो कहते हैं, “हमने तो कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि हमारी मुलाक़ात इतने बड़े आदमी से होगी. और ये भी कहां सोचा था कि हमें कंप्यूटर चलाने को मिलेगा – वो भी मुफ़्त में! जबसे हमारे गांव में ये कंप्यूटर शिक्षा केंद्र खुला है, तबसे हमारी ज़िंदगी ही बदल गई है.”
सपना हुआ सच
डिजिटल एम्पॉवरमेंट फ़ाउंडेशन ने पिछले साल फ़रवरी में चंदौली गाँव में ये कंप्यूटर सेंटर खोला था.
तब से लेकर अब तक गांव के बच्चों ने माइक्रोसॉफ़्ट एप्लिकेशन्स के साथ-साथ इंटरनेट के इस्तेमाल में गुणवत्ता हासिल कर ली है.
फिर चाहे वो इंस्टाग्राम हो, जी-मेल, यू-ट्यूब, फ़ेसबुक या ट्विटर, इन बच्चों को दुनिया से जोड़ने वाली सभी सोशल मीडिया साइट्स की जानकारी है.
हज़रत ने बताया, “इंटरनेट पर गूगल ट्रांसलेट पर अंग्रेज़ी को हिंदी में बदलना, ब्लॉग पढ़ना, समाचार पत्र पढ़ना और स्कूल-कॉलेजों का परीक्षा परिणाम देखना, ये सब हमारी ज़िंदगी का एक अहम हिस्सा बन चुका है. और तो और मुझे लगता है कि अब मेरा डॉक्टर बनने का सपना भी पूरा हो सकता है क्योंकि मैं यू-ट्यूब पर सर्जरी की वीडियोज़ भी देख सकता हूँ.”
‘हम किसी से कम नहीं’
इन बच्चों का आत्मविश्वास देख कर लगता है कि वो दिन दूर नहीं जब भारत के ग्रामीण और शहरी बच्चों के बीच का डिजिटल फ़ासला बहुत कम रह जाएगा.
वो कहते हैं, “हमारे और शहरी बच्चों के बीच कोई अंतर नहीं है. तो क्या हुआ अगर हमारे घरों में कंप्यूटर नहीं है. हमें भी इंटरनेट का वो सब ज्ञान है जो एक शहरी बच्चे को होता है.”
इंटरनेट की तारीफ़ में इन बच्चों के पास कहने को इतना कुछ है कि उसे सुनते-सुनते यहाँ घंटों गुज़ारे जा सकते हैं.
लेकिन जाना तो था, जब निकलने लगे तो बच्चों ने अचानक से जोश भरा नारा लगाया, “वी लव इंटरनेट, वी लव फ़ेसबुक!”